देहरादून। श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के दूरस्थ राठ क्षेत्र में पहली बार प्रदेशभर के शिक्षाविद उच्च शिक्षा को लेकर गुरुवार 21 नवम्बर को महामंथन करेंगे। जिसमें नई शिक्षा नीति-2020 के तहत राज्य में उच्च शिक्षा का रोड़मैप तैयार किया जायेगा। इस महामंथन में 23 अहम बिन्दुओं पर चर्चा की जायेगी। इस चर्चा में जो भी निष्कर्ष निकल कर आयेंगे वह उच्च शिक्षा के उन्नयन में अहम भूमिका निभायेंगे।
इस बार राज्य उच्च शिक्षा परिषद की 11वीं बैठक उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में उनके विधानसभा क्षेत्र श्रीनगर के अंतर्गत सुदूर पैठाणी स्थित राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय में 21 नवम्बर को आयोजित की जा रही है। जिसमें मुख्य सचिव उत्तराखंड सहित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष, विभिन्न राजकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति, राज्यपाल के सचिव तथा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्यों के लिये प्रतिष्ठित शिक्षाविद एवं शासन-प्रशासन के नामित प्रतिनिधि प्रतिभाग करेंगे। परिषद की बैठक में लगभग तीन दर्जन अहम बिन्दुओं पर महामंथन होगा। जिसमें एनईपी-2020, पीएम ऊषा, नैक प्रत्यायन, प्रधानमंत्री जन विकास योजना, मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना, मेधावी छात्र पुरस्कार योजना, उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति, महाविद्यालयों में पुस्तकालय एवं आईटी लैब की स्थापना, नये भवनों, पुस्तकालयों एवं प्रयोगशालाओं की अद्यतन स्थिति, छात्रावास निर्माण की अद्यतन स्थिति, राज्य के 20 मॉडल कॉलेजों के सुदृढ़ीकरण की स्थिति, राज्य के मेधावी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रोत्साहन हेतु आर्थिक सहायता, राज्य के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों का विभिन्न औद्योगिक ईकाईयों, शोध संस्थानों एवं अकादमिक इकाईयों के साथ अनुबंध के साथ ही एनईपी-2020 की गाइडलाइन के अंतर्गत विभिन्न पाठ्यक्रमों एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के संचालन की अद्यतन स्थिति पर चर्चा की जायेगी। इसके अलावा इस महामंथन में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के सुझाव भी लिये जायेंगे, जिससे भविष्य की योजनाओं को लेकर एक ठोस नीति बनाई जायेगी, जोकि उच्च शिक्षा के उन्नयन के लिये मील का पत्थर साबित होगी।
उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि, पर्वतीक्ष राज्य की मूल आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुये उच्च शिक्षा परिषद की बैठक पहली बार दूरस्थ क्षेत्र में आयोजित की जा रही है। इस महामंथन में जो भी तथ्य सामने आयेंगे उसने आधार पर उच्च शिक्षा के उन्नयन के लिये एक ठोस नीति तैयार की जायेगी। जोकि पर्वतीय क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में भी सहायक साबित होगी।
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